कोटा : देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET के दबाव ने एक और होनहार छात्रा की जान ले ली। शनिवार रात को राजस्थान के कोटा में 18 वर्षीय कोचिंग छात्रा भूमिजा सिंह ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना से कोटा एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है, जहां इस साल अब तक 15 छात्रों ने सुसाइड कर लिया है।
रविवार (4 मई) को पोस्टमार्टम के दौरान मीडिया से बातचीत में भूमिजा के पिता सुरेश सिंह ने कहा, "हमारी बेटी पढ़ाई में बहुत होशियार थी। पिछले 4 साल से हम कोटा में रह रहे थे सिर्फ उसकी पढ़ाई के लिए।"
उन्होंने बताया कि घटना के समय वे अपनी पत्नी के साथ बाजार गए हुए थे, घर पर बेटी और भतीजा मौजूद थे। लौटने पर बेटी अपने कमरे में फंदे से लटकी मिली।
कोटा के कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र के पार्श्वनाथ विहार, हिम्मतनगर में रहने वाले परिवार को इस हादसे ने तोड़ कर रख दिया है। हेड कांस्टेबल नरेंद्र सिंह के अनुसार, मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। पुलिस ने परिजनों की रिपोर्ट के आधार पर मामला दर्ज कर लिया है।
भूमिजा के पिता ने बताया कि उनका छोटा बेटा फिलहाल दसवीं कक्षा में पढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी बेटी ने कभी यह नहीं जताया कि वह किसी प्रकार के तनाव में है, लेकिन NEET परीक्षा का दबाव बहुत अधिक था।
कोटा में 2025 के शुरुआती 5 महीनों में ही 15 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं, जिनमें अधिकतर NEET या JEE की तैयारी कर रहे थे। ये आत्महत्याएं देश की शिक्षा प्रणाली, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और कोचिंग इंडस्ट्री के तौर-तरीकों पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं।
तिथि | छात्र/छात्रा का नाम | स्थान | परीक्षा तैयारी |
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03 मई 2025 | भूमिजा सिंह | कोटा (घर) | NEET |
28 अप्रैल | बिहार निवासी छात्र | हॉस्टल | NEET |
24 अप्रैल | रोशन शर्मा (दिल्ली) | रेलवे ट्रैक | JEE |
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(पूरी सूची लेख के अंत में उपलब्ध है)
कोटा एक बार फिर सवालों के घेरे में है—क्या कोचिंग हब बना यह शहर बच्चों के भविष्य की राह है या उनके मानसिक स्वास्थ्य का कब्रगाह? भूमिजा जैसी होनहार छात्रा का जाना सिर्फ एक परिवार की नहीं, पूरे समाज की हार है। अब ज़रूरत है नीतिगत सुधार की, ताकि शिक्षा सफलता का ज़रिया बने, तनाव का नहीं।
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