जयपुर/बांसवाड़ा : राजस्थान की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने बागीदौरा (बांसवाड़ा) से भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के विधायक जयकृष्ण पटेल को रविवार को 20 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। उन पर विधानसभा में पूछे गए सवाल वापस लेने के एवज में रिश्वत मांगने और लेने का आरोप है।
अब सवाल उठता है कि क्या इस गिरफ्तारी के बाद उनकी विधायकी खत्म हो सकती है? या फिर क्या उन्हें सदन से निलंबित किया जा सकता है? साथ ही, यदि अदालत में दोष सिद्ध होता है तो उन्हें कितनी सजा हो सकती है?
ACB ने जयकृष्ण पटेल को एक शिकायत के बाद ट्रैप किया। शिकायत के अनुसार, विधायक ने विधानसभा में पूछे गए सवालों को हटाने के बदले संबंधित व्यक्ति से 20 लाख रुपये की मांग की थी। जांच के बाद पटेल को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 191 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत, यदि किसी विधायक को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है।
हालांकि, जब तक कोर्ट में आरोप सिद्ध नहीं होता, तब तक उन्हें केवल निलंबित किया जा सकता है, सदस्यता खत्म नहीं होती।
जी हां। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष के पास यह अधिकार है कि वे विधायक को सदन से निलंबित या निष्कासित कर सकते हैं, यदि उन्हें लगता है कि विधायक की गतिविधियां सदन की गरिमा के खिलाफ हैं।
हालांकि, इस तरह की कार्रवाई आमतौर पर विधानसभा की आचार समिति की सिफारिश पर होती है।
IPC और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7, 13(1)(d), और 13(2) के तहत:
न्यूनतम सजा: 4 साल
अधिकतम सजा: 7 साल + जुर्माना
साथ ही, दोष सिद्ध होने पर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी लग सकता है।
भारत आदिवासी पार्टी (BAP) एक क्षेत्रीय दल है, और पटेल की गिरफ्तारी पार्टी की छवि पर असर डाल सकती है। पार्टी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
जयकृष्ण पटेल की गिरफ्तारी केवल कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी बड़ी घटना है। अब यह देखना होगा कि ACB की चार्जशीट कब दाखिल होती है और न्यायालय में ट्रायल के बाद उन्हें दोषी ठहराया जाता है या नहीं। तब तक विधानसभा और पार्टी स्तर पर उनकी भूमिका पर निगाह बनी रहेगी।
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