जयपुर: राजस्थान की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच हालिया मुलाकातों ने एक नई बहस छेड़ दी है, जिस पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) हमलावर रुख अपनाए हुए है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजेन्द्र राठौड़ ने गहलोत-पायलट की इस जुगलबंदी पर तीखा तंज कसते हुए कहा है कि जो लोग कल तक 'नाकारा-निकम्मा-नालायक और गद्दार' थे, आज अशोक गहलोत उन्हीं से गलबहियां कर रहे हैं। राठौड़ का इशारा स्पष्ट रूप से पूर्व में गहलोत द्वारा पायलट पर की गई टिप्पणियों की ओर था।
राठौड़ ने जयपुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, "लोकतांत्रिक इतिहास में कभी ऐसा मौका नहीं आया था कि सरकार रहते हुए सरकार के मंत्री और विधायकों को पहरों में फाइव स्टार होटल ले जाया जाए।" उनका यह बयान कांग्रेस सरकार के दौरान हुए राजनीतिक संकट और विधायकों की बाड़ाबंदी की याद दिलाता है, जब अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार को बचाने के लिए विधायकों को लंबे समय तक होटलों में रखा गया था। यह टिप्पणी सीधे तौर पर कांग्रेस की पिछली अंदरूनी कलह और सचिन पायलट की बगावत को लेकर थी।
'खोए हुए जनाधार के लिए हो रहा ऐसा'
बीजेपी नेता ने गहलोत और पायलट की मौजूदा नजदीकियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सब कांग्रेस के खोए हुए जनाधार को वापस पाने की कवायद है। राठौड़ ने कहा, "ऐसा खोए हुए जनाधार को वापस पाने के लिए हो रहा है।" उनका मानना है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद अब पार्टी अपने आंतरिक मतभेदों को सुलझाने और एकजुटता दिखाने का प्रयास कर रही है, ताकि भविष्य की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत कर सके।
राजेन्द्र राठौड़ ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस केवल दिखावे के लिए एकजुटता का प्रदर्शन कर रही है, जबकि उनके आंतरिक विरोधाभास आज भी बरकरार हैं। उन्होंने कहा कि जनता सब समझती है और इन मुलाकातों से कांग्रेस की पुरानी गलतियां नहीं छिपेंगी।
राजनीतिक मायने
राठौड़ का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस आलाकमान राजस्थान में पार्टी को एकजुट करने और गुटबाजी को खत्म करने के प्रयास कर रहा है। गहलोत और पायलट के बीच पिछले कुछ समय से बेहतर संबंध दिखाई दे रहे हैं, लेकिन बीजेपी इस बात को भुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती। राठौड़ के बयान से स्पष्ट है कि बीजेपी कांग्रेस की पिछली अंदरूनी कलह को लगातार मुद्दा बनाए रखना चाहती है, ताकि आगामी चुनावों में इसका राजनीतिक लाभ उठा सके।
यह देखना दिलचस्प होगा कि राजेन्द्र राठौड़ के इन तीखे हमलों पर कांग्रेस की ओर से क्या प्रतिक्रिया आती है।
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